प्रियछात्राध्यापक-छात्राथ्यापिकाओ, प्रकृतिकेइसरमणीयवातावरणमेंस्थापितइसमहाविद्यालयकेनयेशैक्षणिकसत्रमेंमैंआपकाहार्दिकअभिनन्दनऔरस्वागतकरताहूँ। समाज में शिक्षक के स्थान को भगवान एवं माता - पिता से भी बढ़कर माना गया है, जैसा की निम्न पंक्तियों में स्वयं भगवान ने गुरु को अपने से बढ़कर बताया है :-
" गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय। "
इसी महिमा को ध्यान में रखते हुए संस्थान में छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। शिक्षितोंकोप्रशिक्षितकरनाबी.एड. पाठ्यक्रमकामूलसिद्धान्तऔरआदर्शहैजिसकेमाध्यमसेआपकोशिक्षणक्रीकला, तकनीकऔरज्ञानमेंपूर्ण रूप सेपारंगतकियाजाताहै | यहीनहींशिक्षणप्रशिक्षणकेमाध्यमसेआपकोनेतृत्व, अनुशासन, सामुदायिकता, समरसता, चहुंमुखीचरित्रनिर्माणऔरएकयोग्यशैक्षणिकप्रशासककेरूपमेंभीप्रवीणकियाजाताहै। अन्तत: आप सभी अपने अध्ययनकालकेसमयसंस्थामेंनियमितरूपसेउपस्थितरहेंऔरअनुशासनएवंशालीनताबनायेरखे। शुभकामनाओं सहित .... ..